Monday, October 12, 2009

अंक शास्त्र

अंक शास्त्र मनुष्य के मन में जीवन में घटने वाली घटनाओं का रहस्य जानने की लालसा प्राचीनकाल से ही रही है। इसी उत्सुकता ने ज्योतिष विद्या को जन्म दिया। इसी विद्या के क्रम में मनुष्य ने अनुभव किया कि ग्रहों के साथ-साथ अंक भी हमारे जीवन की घटनाओं को प्रभावित करते हैं।

काल गणना को भी ज्योतिष का आधार माना गया है। मानव जीवन का इतिहास बताता है कि हम दैनिक जीवन में अंकों का प्रयोग बखूबी करते आए हैं। इस्लाम धर्म में ‘७८६’ और वैदिक धर्म में ‘१क्८’ के अंक संयोजन को बहुत ही शुभ माना जाता है। एक प्रकार से अंक और ज्योतिष विज्ञान का अटूट संबंध है। ये अंक केवल गिनती करने के काम नहीं आते, बल्कि इनमें जीवन को सफल व असफल बनाने की चमत्कारी शक्ति मौजूद रहती है।

अंकों में गिनती शून्य से शुरू होकर शून्य पर ही खत्म हो जाती है। अक्सर ९ (नौ) अंकों का प्रयोग होता है, परंतु जब भी शून्य इनमें जोड़ दिया जाता है तो इस अंक की शक्ति दस गुना बढ़ जाती है। इस शक्ति के स्रोत वस्तुत: ग्रह ही हैं। इसके वैज्ञानिक सिद्धांत अत्यंत सरल हैं। अंक असंख्य गणन क्रिया को प्रकट करते हैं।

प्रत्येक अंक किसी न किसी ग्रह का सूचक है। व्यक्ति की जन्मतिथि के अंक अदृश्य शक्ति से प्रभावित होते हैं, जिनकी विशेषताओं को परखकर किसी भी व्यक्ति का भविष्य और भाग्य जाना जा सकता है। स्वास्थ्य, विवाह, आर्थिक स्थिति, पराक्रम, विदेश यात्रा, प्रेमप्रसंग और आय-व्यय आदि क्षेत्रों को अंक गणित से जानकर जीवन को नई दिशा दी जा सकती है। इसके सहारे हम भविष्य को भी व्यवस्थित भी कर सकते हैं।

विद्वानों के अनुसार सभी जन्मतिथियों को एक मूलांक में डाला जा सकता है। इसी प्रकार हर ग्रह एक अंक-विशेष के प्रभाव में आ जाता है। सूर्य ग्रह के लिए अंक 1, चंद्र के लिए 2, मंगल के लिए 9, बुध के लिए 5, गुरु के लिए 3, शुक्र के लिए 6, शनि के लिए 8, यूरेनस के लिए 4 और नेपच्यून के लिए 7 मूलांक निर्धारित किया गया है।

हर सौर मास एक ग्रह के प्रभाव में रहता है। सूर्य और चंद्र एक-एक मास को तथा मंगल, बुध, गुरु, शुक्र और शनि दो-दो मासों को प्रभावित करते हैं। यूरेनस तथा नेपच्यून किसी मास को भी प्रभावित नहीं करते, किंतु यूरेनस को सूर्य और नेपच्यून को चंद्र के साथ संयुक्त किया गया है। अंक संपूर्ण जीवन को नियंत्रित करते हैं।

व्यक्ति की प्रकृति, उसके स्वभाव, कर्म, व्यवहार और स्वास्थ्य आदि पर उसकी जन्मतिथि के मूलांक और जन्म मास का काफी महत्व होता है। जिन पर उसे नियंत्रित करने वाले ग्रह के अंक का प्रभाव पड़ता है। इन नौ ग्रहों में नौ मूल अंकों का विभाजन किया गया है। जो व्यक्ति 1 से 9 के मूलांक को विस्तार से जानते और समझते हैं, वे व्यक्ति उनकी गणना करते हुए जीवन में शिखर तक पहुंचने में सफल होते हैं। अंक विज्ञान में मूलांकों का बहुत महत्व है।

Monday, February 23, 2009

Soubhagyam Numerology

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